(शहीद रामवृक्ष यादवले ०५० चैत्र २४ गते सिरहा जिल्लाको वस्तीपुरमा दिएको भाषणमा अाधारित)

चैत्र २४ गते एकटा क्रान्तिके उभार लाब बला दिन छलै । आई साम्राज्यवादी संचारमाध्याम सब जे संसार स साम्यवादी विलीन भ रहल  छै , संसार मे आब कम्युनिष्टके अस्तित्व नै छै, तई विषयमे गलत नारा सब फूइक रहल छै । तई दिन स ओई नारा पर तामाचा देबबला २०६४ के चैत्र २४ गते छलै और ताहि स हम सब अखनो साम्राज्यवादी सबके जे उ आवाज छै, ओई स हम सब घबराई नै, ओई स पछाडि नै पडी । निश्चत रुप स उ गलत आवाज छै । २०४६ साल चैत्र २४ गते के हम सब एकटा और एही रुपमे लि, जे नेपालमे क्रान्तिकारी जनता सबके संख्या कम नै छै । क्रान्तिकारी सब नेपालमे अधिकांश मात्रामे छै । और ई क्रान्तिकारी भावना नयाँ जनवादी क्रान्तिका सुरुवात करतै, नयाँ जनवादी क्रान्ति लउतै । ई २४ गते ओकर आधार बनतै । ई चैत्र २४ गतेके महत्व अई लेल छै । वर्षमे ३६५ दिन होइ छै लेकिन सब दिनके हम सब महत्व नै दई छियै । मूल–मूल कोनो एहन हमरा–आहांके समाजमे पर्व– तिहार, चाड इत्यादी, जे दिन सब होईछै ओई दिन के हम सब यादगार के रुपमे लई छियई । आई क्रान्तिकारी सब मई दिवसके जे आहांके मजदुर वर्ग सबके लेल संसारके गरीब वर्गके लेल शोषित–पीडित जनताके लेल जे अमेरिकामे रक्तरंजित दिन छलै । मजदुर वर्ग सब रक्तरंजित झण्डा ल क प्रतिक्रियावादी और शासक वर्ग सबके, शोषक वर्ग सबके निर्मूल पारके लेल, ओकर सब स मुक्ति पावके लेल रक्तरंजित झण्डा लक अगाडि बढल छलेै । अ‍ोई तुलनामे ई चैत्र २४ गते नेपालमे एकटा मई दिवसके रुपमे हेतै और नयाँ जनवादी क्रान्तिके सुरुवात करतै ।

 साथी सब ! अई चिज के प्राप्त करनेके लेल हमरा आहां के सामने विभिन्न समस्या सब छै । आई राष्ट्रिय रुपमे कम्युनिष्ट आन्दोलन पर विभिन्न प्रकारके संकट सब आइब रहल छै, विभिन्न प्रकारको दुःख सब आइब रहल छै । विभिन्न प्रकारके भ्रम सब आइब रहल छै ।

 आदरणीय कमरेड सब ! हमरा सबके भ्रम जाल स मुक्ति पावके लेल जबतक हम सब अई भ्रमजालके तोडबैनै और राजनीति कहै छै कथी से, ओई चीजके गहराईपूर्वक नै बुझबै और तहुमे कम्युनिष्ट राजनीति कहल चिज की छै, वाम आन्दोलन कहल चिज कि छै, अई चिजके जबतक हम सब गम्भीरता के साथ नै लेबै और अई मे किछ हम सब अपन समय नै देबै, तबतक हम सब क्रान्तिके सुख पाइबनै सकै छी ।

आई हमर साथी सब, पूर्व प्रवक्ता साथी सबकिछ बता गलैथ, सात सालमे अईय क्रान्ति भेलै, ०३६ सालमे अईय जनआन्दोलन भेलै, ०४६ सलके दिन स क्रान्तिके रुपमे लोक कहैछै, “लेकिन हम सब अईय प्राप्त कयने छि । राजनीतिक रुप स मात्र परिवर्तन त कि भेलै ? लेकिन जनताके समस्या गाँस, बाँस और कपासके समस्या जे छै, ओ हमरा सबके यथावत अई । ताईके लेल कम्युनिष्ट आ खास क क आहाँके संयुक्त जनमोर्चा नेपाल अई चिजके जनता के समक्ष लावके लेल अपनाके अगाडि लाइबरहल छ, और जनता के ई बुझादेब चाहछै कि अखनतक के जे परिवर्तन सब भेलैय ओ खास परिवर्तन किछ नै छै । राजनीतिक परिवर्तन छै, और अई चीजमे अई परिवर्तन स हमरा आहांके समस्या दुर नै भ सकैय । हमरा सबके अई देश मे चाही आमूल परिवर्तन । आमूल परिवर्तनके अर्थ होइ छै, जे ‘एक वर्गके शोसक और समन्तवर्गके पँुजीपति और दलाल, नोकरशाह वर्ग सबके हातमे जे ई सत्ता छै, और अई सत्तामे आमूल परिवर्तन क क जै दिन किसान–मजदुर आ सर्वहाराके हातमे सत्ता अयतै नयाँ जनवादी क्रान्ति ओई दिन पूरा हेतै, और नेपालके क्रान्तिकारी शक्ति सब, नेपाली जनता सब असल दिन के प्राप्त क सकतै ।’

 साथी सब !  आब नया जनवादी क्रान्ति के लेल हमरा सबके तयार होनाई अनिवार्य अई लेकिन अहँुमे नेपालके क्रान्तिकारी आन्दोलनमे, अन्तर्राष्ट्रिय जगतमे विभिन्न विचार सब आइब रहल छै । एक तरफ साम्राज्यवादी सब हाँक द रहल छै कि संसारमे कम्युनिष्ट विलिन भ गेलै, लेकिन एक तरफ कम्युनिष्ट आन्दोलन संसारमे जीवित छै, कम्युनिष्ट संसार मे छै । क्रान्ति हेतै कहिक एक तरफ फेरु ‘तृतीय इन्टरनेश्नल’के बाद अखन संसारमे एकटा ‘रिम’ कहल संस्था छै, जे संसारके कम्युनिष्ट आन्देलनके नेतृत्व क रहल छै ।

रिम कहल क्रान्तिकारी संयुक्त जनअन्दोन छै और उक्त क्रान्तिकारी आन्दोलन जे संसारमे छै, संसारके प्रत्येक देशके कम्युनिष्ट पार्टी आ क्रान्तिकारी पार्टी सबके नेतृत्व क रहल छै । रिमके कथनानुसार, ‘आब संसारमे यदि क्रान्ति हेतै त निश्चित रुप स माओवादके ‘माइन’ क जाय पड्तै, यदि कोेनो कम्युनिष्ट पार्टी माओवादी से अलग रहिक क्रान्ति कर चाहै छै, से सम्भव नै छै । और संसार क कोनो भि समयमे माओवाद के आधारविना क्रान्ति सम्भव नै छै ।’ हमरा देशमे भि विभिन्न गुट उपगुट सब, विभिन्न पार्टी सब हमरा देशमे क्रान्ति के नारा ल क आइब रहल छैै । हमरा नेपालके एकटा बहुत विशाल पार्टी कहवला ने.क.पा. (एमाले), जे छै ओ छै, ‘बहुदलीय जनवाद’ के नारा लक अयलैथ, और जनताके भ्रममे पाइर रहल छथिन । हम कहै छियै, बुद्धिजीवि जनता सब आ सचेत जनता सब सामान्य, अखन त हमर ओकर व्याख्या कक ओतेक नइ जा सकै छि । समयके अभाव अई । लेकिन हम कहै छि बहुदलीय जनवादके नारा जे छै, उ नारा स्पष्ट भ रहछै कि नेपाली कांग्रेस आ एमाले मे कोनो त फरका नै छै । बहुदलीय जनवाद ओकर, अंग्रेजी शब्द छै आहाँके ‘मल्टी डेमोक्रेसी’, डेमोक्रेसी के मतलव प्रजातन्त्र होई छै और जनवाद होई छै । कांग्रेस के भि प्रजातन्त्र के नारा छै, एमाले के भि प्रजातन्त्रके नारा आइब रहल छै । आब कहतकी नाम त एक छै, लेकिन ओकर कामके फरक छै । त काममे फरक त हमर पूर्व वक्ता साथी सब बहुत कि छ अपने लोकनि के समक्ष वक्ता चुकलै थ । हम जे कहै छि कांग्रेसके काम आ एमालेके काम मे कोनो तफरका नै छै ।

आई वर्ग संघर्ष के माक्र्सवाद, लेनिनवाद, माओवाद के जे प्राण छै, ओ (एमाले) वर्ग संघर्ष के नीति स हइट रहल छै, आ वर्ग समन्वयके तरफ अगाडि बढी रहल छै । पटक–पटक हुनकर व्यावहारिक अनुभव हमसब देख चुकल छि, नेपालमे जब जब आन्दोलन चरम सीमापर बढ लेल चाही रहल छई, ओई समयमे आईबक प्रतिक्रियावादी सत्ताधारी सबके साथे सब सम्भौता करै छै आ नेपाली जनताके धोखा दै छै । मदन भण्डारी आ जीवराज आश्रित के मृत्यु पर हमरा सबके शोक नई, हमरा सबमे दर्द नई, एहनबात नई छै । हमसब ओहुके एक दर्द के रुपमे लेने छलीएै और अई के लेल शक्तिके साथ हमरासबके आन्दोलनमे आब पडलै । हमरा सबके बीचमे सम्झौता त भेल छल । एमालेके साथी सब ठाँब–ठँव पर जाक कहले छथिन, जे ऐ शोक के हम सब शक्ति मे परिणत करब, लेकिन जहाँ मदन भण्डारी, जीवराज आश्रित के मृत्यु बला हुुनकर एकटा प्रमुख माङ्ग जे छलै, तै माङ्गोके छोइर देलथिन । वास्ताविक रुप स हुनकर एकटा प्रमुख माङ्ग जे छलै, तै माङ्गके अखन तक पुरा नई कराब सकने छै । अखन त उपलब्धि हुनका नई भेटरहल छै । आब पुनः कहि रहल छथि, वो हम आन्दोलन मे आयब । निश्चित रुप स आन्दोलनमे हुनका आबही परतइन और हमरा सबके सहयोग  लेबही परतइन, लेकिन आन्दोलनके यदि क्रान्तिकारी धारके साथ अगाडि बढाक नई ल जैथिन त हम सब आब धोखा खाय बला नई छि आ नेपाली जनता धोखा खाय बला नै छै । साथी सब ! बात रहल ओ से एहन हमरा आहाँके बीच मे कम्युनिष्ट शक्ति सब छै, वामशक्ति सब छै, जे हमरा आहाँके भ्रम पाइर रहल छै । आइ नेपालमे अल्पकालीन जनयुद्ध होतै कहिक बरसो स नारा छै । वैधानिक संघर्ष अगाडि बैढिक जेतै जनतामे चेतना हेतै, आई ४५ वर्षके इतिहासमे छै, अँहु सब ओई इतिहासके भुक्तभोगी छी । ओई के पछाडि पछाडि परल छि, लेकिन जब बहुत कठिनाई, बहुत संघर्ष, लम्बा यात्रा इत्यादि सब चीज स हम सब भुगतलियै त हमरा सबके ई अनभव भेल ग कि नेपालमे सब यदि जनताके मुक्ति मिलतै त दीर्घकालीन जनयुद्ध और ग्रामीण वर्ग संघर्षद्वारा मिलतै । जै चिजके नेतृत्व नेकपा (एकता केन्द्र) (हालको माओवादी) क रहल छै । और हम संयुक्त जनमोर्चा नेपाल, एकता केन्द्र के हिमायति छि । और हुनकर संघर्ष अगाडि बढैक जाउ, और जनताके मुक्तिके रास्ता पर ल जाउ, हमरा सब के कामना अछि । हर समय उनका हम सब सहयोग कर लेल तयार छि । क्रान्तिकारी साथी सब ! हमर देश गाउँए–गाउँए स भर देश छै, किसान आ मजदुर स भरल देश छै । लेकिन हमरा सब के बीचमे एकता नै भरल अछि । किसान आ मजदुरके समस्या वास्ताविक जे छै, से हमअहाँ नै बुझि रहल छि ।

अईय के सामान्य वर्ग सब, पुँजीपति वर्ग सब जे छथि, हमरा आहाँ के बीच मे फरक बनादेने अछि । किसान के समस्या मजदुर नइ बुझि रहल छि । मजदुर के समस्या किसान नइ बुझि रहल छि । लेकिन, नयाँ जनवादी क्रान्ति, जे हतै से किसान आ मजदुर के बीच मे एकता कायम भ क मात्र नयाँ जनवादी क्रान्ति हेतै । या यै देशमे किसानो के बाहुल्य छै । किसानके समस्या सब देखु त पञ्चायत स हम सब बहुदल व्यवस्था अयलै, बहुदलीय व्यवस्था किसान–मजदुर समस्या के हल करतै कहैत सब गर्व स नेपाली जनता छाती फुलौलक । बाद मे कि भेलै ? पञ्चायतो  कालमे जे मालपोत, जे वृद्धि नै भेल रहै । जई प्रकारक मालपोत नई रहैलगैत रहै ओई प्रकारके मालपोत के भार हमरा अहाँ के शिर पर पहँुच चुकल अछि । किसानके क्षतिग्रस्त कर के लेल और सफल बनाब के लेल उत्पादनमे विकास कर के लेल हमरा आहाँ के सहयोग पर खाद्य मल, बिउके प्राप्ति नई भ रहल छै, इत्यादि । एक तरफ किसान–मजदुर अइ तरह स मइर रहल छै, दोसर तरफ हमरा देश के प्रत्येक युवा वर्ग सब के आब अइय रहके ठाउँ नै भेट रहल अछि । ओई गाउँ घरमे रह के हुनका सब के स्थिति नै भ रहल छै । किसान के उत्पादन मे ह्रास भ रहल छै । आ मजदुर के मजदुरी नै भ रहल छै । महंगाई आहाँ के एते लाइद देने छै कि चाइर किलो मजदुरी स हुनका पूर्ती नै भ रहल छै । आई हमरा गाउँघर के युवक सब आपना मा के, बहन के, बालबच्चा के त्याइग क पत्नी के त्याइग क कोइ पंजाव जाइ छै, कोइ दिल्ली जाइ छै, कोइ असाम जाइ छै, कोइ गाउँ के छोडि क सहर मे प्रवेश क रहल छै । काइल्ह के भविष्य ई गाउँके कि हेतै, हमरा आहाँ के प्रमुख मुद्दा ई बनी क आइब रहल छै । ताइ के लेल संयुक्त जनमोर्चा नेपाल अपने लौकैन स ई आग्रह क रहल अइ और अई ल क युवक शक्ति सब से ई आग्रह क रहल अछि कि आहाँ सब बम्बइ आ कलकलता के ठाउँ, बम्वइ आ कलकता के जे दृश्य छै, से छोडक प्रयास करु, आ पुनः देश मे अपना गाउँमे बैसु, आ–अपना गाउँके जे हालत जे छै, से सुधार करके लेब आहाँ सबके संयुक्त जनमोर्चा नेपालके निर्देशन मे, एकता केन्द्रके निर्देशनमे आहाँ सब के संगठित होब परत आ नेपालमे नयाँ जनवादी क्रान्ति करके लेल दीर्घकालीन जनयुद्ध के रास्ता से ग्रामीण वर्ग संघर्ष चाला वैत जेहन संघर्ष आहाँके हमसब बुईझ रहल छि रोल्पा मे भ रहल छै, ओई प्रकारे जबतक आहांके युवक वर्ग सब हातहतियार उठाबके लेल तैयार नै हेतै, निश्चित रुप स देशमे परिवर्तन हैतै । उ कथित परिवर्तन हेतै । 

साथी सब ! प्रत्येक पार्टी सबके पास अपन अपन सेना होइछै । आ अइय संसदीय व्यवस्था छै । संसदीय व्यावस्था के जे पक्षधर सब वे छथि, से सब अपना सत्तामे भागीदारी करके लेल, चुनाव लडके लेल, सत्ता प्राप्ति करके लेल ओकरा पासमे सेना छै, सत्ता प्राप्ति करके लेल सेना छै । विपक्ष के पार्टी छै से उहो चुनाव मे गुण्डा सबके सेनाके रुपमे हमरा आहाँ के जे प्रयोग करैय, हमरा सबके जनता के जे मत यै, से जबरदस्ती अपना बक्सामे रखैय त संसदीय व्यावस्था मे जे सुधार लाबके लेल, सुधारके माग क क जनता के, किछ द दक ठग के लेल, सत्ता प्राप्ति के लेल, कुर्सी पर जाइके लेल, भी उ सब जनसेना के प्रयोग करै छै त हम सब त एकटा सत्तामे आमूल परिवर्तन क क ऐ सत्ता के प्राप्ति क रहल छि, जे सत्ता हम आहाँ किसान–मजदुर के हातमे राख चाही रहल छि, ओई सबके लेल जौ अपना सबके सेना नै बनतै, प्रत्येक नेपाली जे लड के लेल तयार नै हेतै, तै प्रतिक्रियावादी के हम सब नै किछ क सकै छि ।

अई ४५ वर्षके नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी के इतिहास ई बताइब रहल छै कि हम सब सेनाविहीन छि, ताई के लेल आइयके युवा वर्ग सबके अपना गाउँके, अपना सहरके, अपना देशके यदि विकास चाहि रहल छै, अइमे प्रतिक्रियावादी सब के मुहतोड उत्तर देबके लेल चाहि रहल छै हुनका हात स सत्ता लेब चाहि रहल छै, गरिब के दुनियाँ बसाब चाहि रहल छै आ प्रत्येक युवाके आब गाउँ मे सेनाके रुपमे तयारी भ क लडाकु शक्तिके रुपमे तयारी भ क आब परतै ।

 कमरेड ! अई चीजके याद ई चैत्र २४ गते दिला रहल छै । और हमरा सबके अन्तर्राष्ट्रिय जगत से भि हमरा सबके सहयोग प्राप्त अछि । हमरा सबके एकटा निर्देशन भेट रहल अछि ओइ निर्देशनके अगाडि राखिक हम सव जौ चलि त, निश्चित रुप छै जे हम सब एकटा नयाँ दिन देख पायव ।

साथी सब !  विषयवस्तु औरो छै, समयके अभाव छै, दूर–दूर अपने लोकनी के जाई के छै । तै के लेल नयाँ जनवादी क्रान्ति कर के लेल जे प्रमुख रासता छै और अई चैत्र २४ गते के इ महत्व छै । अई चिज के हम अपने सबके समक्ष रखैत अई क्रान्तिके दौरान जते ज्ञात–अज्ञात सहिद सब जे छै जयगेविन्द कमरेड, जय गोविन्द साह ,क. बासुदेव ढाकुर, इत्यादि के रास्ता पर हम सब चलि, इ स्मरण दिलाबैत हम अपन दु शब्द कहै रहल छि । धन्यवाद ! 

उत्सर्ग’ नामक पुस्तकबाट

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